मत्तगयंद-मालती सवैया
मत्तगयंद/मालती सवैया
आ घर वापस दूर रहो मत आपन देश सदा सुखदायी।
जा न विदेश रहो घर में अपना घर मातृ महा वरदायी।
काम करो अपना खुद का अपने बल से रहना शुभदायी।
खर्च करो अति संयम से धन संग्रह ही मधुरा फलदायी।
बात करो अपने जन से सुखसार यही सच में हितकारी।
प्यार करो नित मेल करो अपने मन से बनना प्रियकारी।
मीत बनो दुखिया जन का खुद ही दिखना नित संकटहारी।
भाव समुद्र तरंग उठे अति स्नेह रहे शिव मंगलकारी।
नीति सदा प्रिय सत्य रहे मत झूठ कुपंथ कभी अपनाना।
झूठ कुमार्ग सदा दुखदा यह बात सदा मन को समझाना।
भूल करे मन तो समझाय- बुझाय सदा शुभ काम बताना।
छोड़ अपावन कृत्य सदा सबको प्रियवाहक ग्रन्थ पढ़ाना।
Renu
23-Jan-2023 03:40 PM
👍👍🌺
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